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केंद्रीय कर्मचारियों को तगड़ा झटका

केंद्रीय कर्मचारियों को तगड़ा झटका

सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने तक कोई अंतरिम राहत नहीं, डीए का वेतन में मर्जर भी नहीं

अजय तिवारी/एसएनबी नई दिल्ली। दस हजार करोड़ रपए का सालाना बोझ आने की वजह से सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने तक केंद्र सरकार न तो कर्मचारियों को अंतरिम राहत देगी और न डीए का वेतन में मर्जर करेगी। सातवें वेतन आयोग ने भी केंद्र सरकार के 34 लाख कर्मचारियों को दो हजार रपए महीने की अंतरिम राहत देने और वेतन में डीए के मर्जर से मना कर दिया है। कर्मचारियों की इन दोनों मांगों के सम्बंध में सातवें वेतन आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर ने टका सा जवाब दे दिया है कि अंतरिम राहत और डीए का वेतन में मर्जर जैसे मुद्दे आयोग के र्टम्स -रिफ्रेंस में नहीं हैं। जब कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने वाली जेसीएम (ज्वाइंट कंस्लटेटिव मशीनरी) ने आयोग के सामने दोनों मांगें रखीं तो आयोग ने कहा कि वित्त मंत्रालय या कार्मिक मंत्रालय से लिखित पत्र मंगा दिया जाए तभी वो इस विषय में कुछ कर सकते हैं। जेसीएम ने वित्त मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय दोनों से बात की, लेकिन दोनों मंत्रालयों ने यह कहते हुए अंतरिम राहत और डीए मर्जर से इनकार कर दिया कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट नियत 18 महीने (अगस्त 2015) में आ जाएगी। हालांकि वेतन आयोगों का पिछला इतिहास रहा है कि इसकी रिपोर्ट आने में दो साल का वक्त लगा है। कर्मचारियों को कहना यह भी है कि छठे वेतन आयोग की कुछ सिफारिशों को लेकर अभी भी विसंगति बनी है। जेसीएम के अध्यक्ष एम. राघवैया ने ‘राष्ट्रीय सहारा‘ से कहा कि यह दलील भी सरकार ने अस्वीकार कर दी कि जो अंतरिम राहत दी जाए उसे सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट आने पर समायोजित कर लिया जाए। उन्होंने बताया कि वेतन में डीए का मर्जर जनवरी 2014 से करने का आग्रह किया गया था। राघवैया ने माना कि अंतरिम राहत (सालाना 800 करोड़ रपए) और डीए मर्जर पर लगभग 10 हजार करोड़ रपए का खर्च आएगा। उधर सातवें वेतन आयोग की टीम 11 से 14 जनवरी तक कोलकाता और अंडमान निकोबार द्वीप समूह जाकर कर्मचारियों के विचार जानेगी। जनवरी में उसे दिल्ली में जेसीएम और दूसरी सभी कर्मचारी फेडरेशन से पहले दिए मांग पत्र पर एविडेंस बैठक करनी थी। अब यह बैठक फरवरी में ही होगी। जेसीएम के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि सरकार की सफाई के बाद भी कर्मचारियों के जेहन से नौकरी की आयु घटाकर 58 वर्ष करने का डर नहीं गया है। उन्होंने कहा कि नौकरी की उम्र 62 साल करने की मांग को ठंडा करने के लिए सरकार ने 58 साल उम्र करने की बातें फैलाई हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों को अंतरिम राहत और डीए मर्जर जैसी सुविधाएं न देना कर्मचारी विरोधी कदम है। उन्होंने कहा कि मजदूर संगठनों ने यह मुद्दे छोड़े नहीं हैं, बल्कि सारे मजदूर संगठनों की राय एक है और इस पर संघर्ष किया जाएगा। मिश्रा ने कहा कि रेलवे में पेंशन का मुद्दा भी गंभीर है। 34 लाख कर्मचारी होंगे प्रभावित जेसीएम ने वित्त मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय से की बात.
Is msg ko jitna ho sake central government employees tak pahuchana h taki agali bar votes dene se pehele dhyan rakhe

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